Bishnoism - An Eco Dharma: तकनीक के माध्यम से संस्कृति संरक्षण की ओर एक कदम
– एक फेसबुक पेज की कहानी
बदलते दौर में जब तकनीक और सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं, वहीं कुछ मंच ऐसे भी हैं जो केवल मनोरंजन या सूचनाओं का माध्यम न होकर संस्कृति, परम्परा और पर्यावरण चेतना के संवाहक बन गए हैं। ऐसा ही एक सशक्त प्रयास है – “बिश्नोईज्म” फेसबुक पेज, जिसने न केवल बिश्नोई समाज की गौरवशाली परम्पराओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थान दिया, बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी पहचान को भी नया आयाम दिया।
उत्पत्ति और उद्देश्य
इस फेसबुक पेज का निर्माण 14 अगस्त 2012 को हुआ। इसकी नींव अभिनय ज्याणी द्वारा रखी गई, जिन्होंने इसे एक नन्हे से पौधे की तरह तकनीकी संसार में जन्म दिया। शुरुआत में यह पृष्ठ अकेला था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें समाजसेवी युवाओं का सहयोग मिला, जिन्होंने इसे जाम्भाणी साहित्य, बिश्नोई इतिहास, संस्कृति और मूल्यों के पोषण से सींचा। आज यह पृष्ठ एक छायादार वृक्ष की भांति हजारों लोगों को ज्ञान, प्रेरणा और सांस्कृतिक गौरव की छांव प्रदान कर रहा है।
एक परिवार, एक विचारधारा
आज “बिश्नोईज्म” पृष्ठ से 96 हजार से भी अधिक सदस्य जुड़े हुए हैं। यह केवल एक पेज नहीं, बल्कि एक ऐसा डिजिटल परिवार है जो समाज की सांस्कृतिक नींव को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए संकल्पबद्ध है। यह पृष्ठ बिश्नोई समाज के अलावा विश्वभर के प्रकृति प्रेमियों को जोड़ने में भी सफल रहा है। इसका उद्देश्य केवल सूचना देना नहीं, बल्कि आत्मीयता के साथ एकता और चिर-बंधुत्व की भावना को मजबूत करना है।
पर्यावरण और परम्पराएं – दो स्तंभ
चाहे वह खेजड़ली बलिदान की कालजयी घटना हो या वीर शैतान सिंह का वन्यजीवों के लिए दिया गया अमर बलिदान – “बिश्नोईज्म” पृष्ठ इन सभी गौरवशाली घटनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में सतत प्रयासरत है। पृष्ठ का एक प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। धार्मिक आयोजनों से लेकर सामाजिक प्रश्नों तक इसकी सक्रिय सहभागिता ने इसे केवल एक ऑनलाइन मंच नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन बना दिया है।
साहित्यिक और बौद्धिक मंच
“अमर ज्योति” जैसी प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका के बाद “बिश्नोईज्म” पेज बिश्नोई साहित्य, इतिहास, संस्कृति, समाज और राजनीतिक मूल्यों पर सबसे अधिक चर्चित और उपयोगी मंच बन चुका है। यहां न केवल पढ़ने को मिलता है, बल्कि अपने विचार साझा कर पाठक समाज के विकास में भी सहभागी बनते हैं।
अविरल यात्रा
“बिश्नोईज्म” केवल फेसबुक पेज नहीं, बल्कि एक सोच है, एक विचारधारा है – जो तकनीक के माध्यम से समाज के सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रही है। इसका हर सदस्य एक सिपाही है, जो बिश्नोई परम्पराओं और पर्यावरण रक्षण की मशाल लेकर आगे बढ़ रहा है।
यह यात्रा रुकेगी नहीं – यह पृष्ठ अपने उद्देश्यों के साथ निरंतर आगे बढ़ता रहेगा, ताकि भावी पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़ी रहें और प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकें।
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