नवरात्रि आज से पूरे 9 दिनों का शक्ति पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि | Jhalko Bikaner
आज से शारदीय नवरात्रि पर्व शुरू हो गया है और यह 4 अक्टूबर तक रहेगा। इस बार कलश स्थापना के लिए 3 शुभ मुहूर्त हैं। चित्रा नक्षत्र और वैधृति नाम का अशुभ योग भी नहीं होने से स्थापना के लिए ज्यादा समय मिलेगा।
इस नवरात्रि में कोई भी तिथि नहीं घट रही है। इसलिए ये पर्व पूरे नौ दिनों का रहेगा। इनमें खास तिथियां जैसे दुर्गाष्टमी 3 अक्टूबर, महानवमी 4 अक्टूबर और दशहरा 5 अक्टूबर को मनेगा।
इस शक्ति पर्व के दौरान तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर दो सर्वार्थसिद्धि, एक द्विपुष्कर और तीन रवियोग बनेंगे। इन दिनों खरीदारी के लिए 8 शुभ मुहूर्त रहेंगे। इनमें प्रॉपर्टी में निवेश के लिए दो और व्हीकल खरीदारी के लिए तीन दिन शुभ होंगे।
26 सितंबर को केदार, भद्र, हंस, गजकेसरी, शंख और पर्वत नाम के शुभ योग बन रहे हैं। इन 6 राजयोग में नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। सूर्य, बुध, गुरु और शनि से बनने वाले इन शुभ योगों में कलश स्थापना होना शुभ संकेत हैं।
कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त पहला मुहूर्त सुबह 10.10 से 11 बजे तक इस समय वृश्चिक लग्न रहेगा । इस दौरान कलश स्थापना करने से लंबे समय तक सुख , समृद्धि और धन लाभ मिलता है । दूसरा मुहूर्त सुबह 11:36 से दोपहर 12:24 तक ये अभिजित मुहूर्त है । इस मुहूर्त में कलश की स्थापना से अच्छी सेहत , सौभाग्य और ऐश्वर्य बढ़ता है । तीसरा मुहूर्त शाम 4:15 से 5:40 तक ये कुंभ लग्न है। इस दौरान कलश स्थापित करने से पराक्रम बढ़ता है। दुश्मनों पर जीत मिलती है और पद – प्रतिष्ठा भी मिलती है।
कलश स्थापना की विधि गणेशजी को प्रणाम करें। फिर जिस जगह कलश स्थापित करना है , उस भूमि को प्रणाम करें और वहां चौकी रखें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर धान रखें और उन्हें प्रणाम करें। इसके बाद उन पर कलश रखें। कलश में शुद्ध पानी और गंगाजल भरें । उसमें चंदन , रोली , हल्दी की गांठ, फूल, दूर्वा, अक्षत , सुपारी और सिक्का डालें । पत्ते रखकर कलश को ढंक दें। कलश स्थापना करते वक्त ॐ नमश्चण्डिकायै मंत्र बोलें ।
नौ दिनों की पूजा विधि
- हर दिन पूजा से पहले खुद पर गंगाजल छिड़कें, तिलक लगाएं और दीपक जलाएं।
- रोज पहले भगवान गणेश, देवी पार्वती फिर कलश और उसके बाद देवी दुर्गा की पूजा करें।
- कुमकुम, चावल और हल्दी, मेहंदी सहित कई चीजों से पूजा करें फिर आरती और उसके बाद नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटें।

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