Topper's Story: बीकानेर की सुरभि पारीक (Surbhi Pareek) ने Reet Level-2 में टॉप कर रचा इतिहास
अगर मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो और हौसले बुलंद हो तो सफलता को न केवल प्राप्त ही नहीं किया जा सकता है बल्कि शीर्ष मकाम भी हासिल किया जा सकता है। बीकानेर शहर की रहने वाली सुरभि पारीक ने सफलता की कुछ ऐसी ही इबारत लिखी है। सुरभि ने अध्यापक पात्रता परीक्षा (REET2021) लेवल द्वितीय राजस्थान भर में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वयं, परिवार और जिले को गौरवान्वित किया है। सुरभि द्वितीय लेवल में 146 नंबर हासिल कर टॉपर बनी है।
Surbhi pareek biography : सुरभि पारीक जीवन परिचय
सुरभि मूलतः बीकानेर की खातुरिया कॉलोनी की रहने वाली है। इनके पिता डॉ पवन कुमार पारीक आयुर्वेदिक चिकित्सक है तो वहीं माता विनीता पारीक ग्रहणी है। इनका एक छोटा भाई है जो अभी कक्षा 12वीं में अध्ययनरत है और बहन सूरतगढ़ थर्मल पावर में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है।
Surbhi Pareek Education
सुरभि ने अपनी स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय नंबर 1 बीकानेर से ग्रहण की। इसके पश्चात उन्होंने राजकीय डूंगर महाविद्यालय ये बायोलॉजी में बीएससी की और फिर इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज इन एजुकेशन, बीकानेर से बीएड डिग्री हासिल कर REET की जमकर तैयारी की जिसका परिणाम यह रहा कि द्वितीय लेवल में सम्पूर्ण राजस्थान को टॉप किया।
शिक्षक बनने की प्रेरणा और तैयारी : Surbhi Pareek REET Strategy
सुरभि ने बताया कि वह विज्ञान की छात्रा होते हुए एमबीबीएस न बनकर शिक्षक बनना चाहती थी। शिक्षक की आदर्श छवि बाल्यकाल से ही उन्हें प्रेरित करती थी। सुरभि ने इसी के चलते शिक्षिका बनने के ख्वाब बुनने शुरू किए। धीरे धीरे सतत शिक्षा की बुनियाद पर सुरभि ने अपने नवाबी ख्वाब को पा लिया है अब वह दिन दूर नहीं जब सुरभि शिक्षा (ज्ञान) रूपी दीपक से बच्चों के भविष्य उज्जवल करेगी।
रीट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए सुरभि ने कोचिंग क्लासों से कांसेप्ट समझने के बाद सेल्फ स्टडी को महत्व दिया और निरंतर उन्हीं पुस्तकों (कक्षा 6 से 8 तक की) को पढ़ा जिन्हें शिक्षक बनकर भविष्य में उन्हें पढ़ाना है। इसके साथ ही पुराने प्रश्न पत्र, मॉडल पेपर को हल किया। पढ़ाई के साथ साथ उन्होंने अपने परिवार के साथ समय बिताया।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को संदेश
पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए सलेक्टेड किताबें पढ़ें, पुराने प्रश्न पत्र, मॉडल हल करें। हमेशा पढाई को घंटो में न मापकर जितना मन करे अपनी कैपेबिलिटी के अनुसार पढ़ें और हमेशा एक सेड्युल में निरंतरता बनाए रखे। ऐसा करके आप निश्चित ही लक्ष्य को आसानी से पा सकेंगे।
सफलता का श्रेय
सुरभि ने अपनी सफलता का श्रेय गुरुजनों, माता-पिता व मित्रों को दिया।
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