सरसों के 13 लाख एमटी कम उत्पादन की आशंका, मार्च में तेल होगा महंगा
सरसों पकने के कगार पर की है, लेकिन अभी बाजार अभी से गर्माया है, क्योंकि एक्सपर्ट का मानना है कि इस साल सरसों का 13 लाख एमटी तक कम उत्पादन होगा। इसकी खास वजह इस साल जनवरी का अन्य सालों के मुकाबले गर्म रहना है। राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र के अनुसार जनवरी का औसत तापमान 13.4 डिग्री रहा, जबकि सरसों के लिए औसतन 8 से 10 डिग्री रहना चाहिए। इस पर भी फरवरी के मौसमी फेरबदल की चिंता अलग से है। ऐसे में इस साल सरसों की कम पैदावार होने की आशंका है। प्रमुख ब्रोकर अंकित मिश्रा बताते हैं कि इस साल भरतपुर-अलवर की बेल्ट को
छोड़ दिया जाए तो अधिकांश इलाकों मसलन, एमपी के अशोक नगर, नीमच, उज्जैन, मंदसौर, राजस्थान के बारां, कोटा बूंदी, चित्तौड़गढ़, यूपी के बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, संभल और हरियाणा के चरखी दादरी, जींद, हिसार, सिरसा आदि में इस साल करीब 25 फीसदी तक कम बुबाई हुई है। इसकी वजह इस साल अक्टूबर तक बारिश होना रहा। ब्रोकर मिश्रा के बयान को मस्टर्ड आयल प्रॉड्यूसर्स ऑफ इंडिया का प्रारंभिक सर्वे भी पुष्ट करता है। मोपा के जरनल सेक्रेटरी केके अग्रवाल कहते हैं कि इस साल करीब 3 लाख हेक्टेयर में सरसों की कम बुबाई हुई है। पिछले साल 99 लाख हेक्टेयर में सरसों बोई गई थी, जबकि इस साल यह आंकड़ा 96 लाख हेक्टेयर
से ऊपर नहीं पहुंच रहा है। राजस्थान में 40.5 लाख का लक्ष्य था, लेकिन 29.01 लाख हेक्टेयर में बुबाई हुई। यह पिछले साल के मुकाबले 1.13 लाख हेक्टेयर कम है।
विक्षोभ के बादलों का उत्पादन पर असर स्काई मेट के अनुसार इस साल जनवरी में लगातार पश्चिमी विक्षोभों की सक्रियता के कारण बादल बने रहे। इस कारण तापमान अधिक रहा। प्रमुख ब्रोकर भूपेंद्र गोयल ने बताया कि 2 से 15 जनवरी तक औसत तापमान 12.5 डिग्री रहा, जबकि यह 8 डिग्री रहना चाहिए था। सरसों अनुसंधान केंद्र के मुताबिक जनवरी में अधिकतम तापमान 19.3 डिग्री और न्यूनतम 7.6 डिग्री रहा, जो पिछले साल के मुकाबले दिन में 3 और रात में 1.2 डिग्री अधिक रहा।
इसलिए चिंता है कि इस साल उत्पादन कम बैठ सकता है। क्वालिटी डाउन रह सकती है। आयल प्रतिशत भी 38.5 प्रतिशत आने की संभावना है, जबकि पिछले साल औसत तेल प्रतिशत 40.5 था। मोपा के एग्जीक्यूटिव मेंबर राधेश्याम गोयल ने बताया कि पिछले साल 113 लाख मैट्रिक टन सरसों को उत्पादन हुआ था। लेकिन इस साल यह 100 लाख एमटी बमुश्किल पहुंच पाएगा। इस साल मावठ भी औसत से 71 प्रतिशत कम है। फिलहाल नई सरसों आने से बाजार नरम है, लेकिन मार्च में में बाजार उठने की संभावना है। ऐसे मार्च के अंत तक सरसों तेल 150 रुपए किलो पार हो सकता है। ताजा 132 रुपए किलो है।
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